भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली की एक गाइड (मार्गदर्शक) – पीड़ित के दृष्टिकोण से

क्या आप अपराध पीड़ित हैं? यह गाइड आपको पुलिस एवं न्यायालय प्रणाली आप ही के नजरिये से समझती है I

क्या आपके विरुद्ध किसी ने कोइ अपराध किया है?

अगर आप किसी अपराध के ग्रसित हैं, तो इसके बारे मैं अधिकारीयों को सूचित करना आपका अधिकार ही नहीं , दायित्व भी है I यह करने के लिए पुलिस मैं प्रथम सूचना रिपोर्ट [ प्र.सु.रि./FIR] प्रस्तुत की जा सकती है अथवा न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती I

प्र.सु.रि.(FIR) के बारे में | मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद | अपराधों में समझौता करना

अपराध की रिपोर्ट करने के बाद क्या होता है ?

जब एक अपराध रिपोर्ट हो जाता है तोह पुलिस आम तौर पर उसकी जांच शुरू कर देती है I अगर आप मजिस्ट्रेट के पास गए हैं तोह वे खुद जांच शुरू कर सकती हैं या पुलिस को जाँच करने का निर्देश दे सकती हैं I

पुलिस जांच-पड़ताल | मजिस्ट्रेट द्वारा कदम

मामला अदालत मैं चला गया है I अब क्या होगा ?

जब पुलिस एक बार आरोप-पत्र दाखिल कर दे , उसके बाद मजिस्ट्रेट यह देखेंगी की क्या कोई वास्तविक मामला बन रहा है की नहीं I इसके बाद वह उससे परिक्षण के लिए सही अदालत मैं भेज देंगी I

विचारण के बारे में

क्या मैं किसी भी मुआवजे की उम्मीद कर सकती हूँ ?

अगर आरोपी को निर्दोष पाया गया है तो आम तौर पर ऐसे मैं कोई मुआवजा नहीं मिलता है I अगर उसे दोषी पाया जाता है और कोई जुरमाना लगाया जाता है, तोह आपको मुअवजा मिल सकता है, लेकिन यह आदेश ज्यादातर नहीं दिया जाता है I

और जानिए

क्या महिलाओं और बचों के लिए कोई विशेष उपाय हैं ?

बलात्कार, बाल यौन शोषण के पीड़ितों के साथ पुलिस, डॉक्टर और न्यायालय को किस तरह से काम करना चाहिए इस कानून मैं हाल ही मैं कुछ बदलाव किए गए हैं I

और जानिए

यह लेख न्याय द्वारा लिखा गया है. न्याय भारत का पहला निःशुल्क ऑनलाइन संसाधन राज्य और केन्द्रीय क़ानून के लिए. समझिये सरल भाषा मैं I