मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद- पीड़ित के दृष्टिकोण से

1. मैं मजिस्ट्रेट को शिकायत किस स्तिथि मैं कर सकती हूँ?

आप मजिस्ट्रेट को एक निजी शिकायत कर सकती हैं I इस प्रक्रिया के लिए एक वकील का उपसस्थित होना उचित है I मजिस्ट्रेट परिवाद पेश करने वाले व्यक्ति एवं गवाहों को परीक्षित करेगी I परिवाद पेश करते समय इसके समर्थन मैं जो भी सामग्री उपलब्ध है उसे शिकायत में शामिल करें I

2. किस मजिस्ट्रेट के पास जाऊं ?

सामान्यतः, जिस मजिस्ट्रेट के स्थानीय क्षेत्र मैं अपराध घटित हुआ है उसे मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार होगा I अगर घटना एक क्षेत्र मैं करीत की गई है परंतु उसका प्रभाव अन्य क्षेत्रों मैं महसूस होता है, ऐसी स्तिथि मैं दोनो क्षेत्रों के मजिस्ट्रेट मामले की सुनवाई कर सकते हैं I उदहारण के लिए, यदि हरि को गुरुग्राम मैं गोली मारी गई है पर उसका देहांत अस्पताल जाते वक्त दिल्ली मैं हो जाता है, तब दोनो गुरुग्राम व् दिल्ली के मजिस्ट्रेट का श्रवण अधिकार हो सकता है I जिस मजिस्ट्रेट के समक्ष आप उपसिथ हुए हैं, यदि उसे मामले की सुनवाई करने की शक्ति प्राप्त नहीं है तो वह शिकायत को अनुमोदन कर उचित मजिस्ट्रेट के पास भेज सकती हैं I

3. मेरे शिकायत करने के पश्चात् मजिस्ट्रेट क्या कदम उठाएगी?

परिवाद सम्बन्धी परिक्षण करने के पश्चात् मजिस्ट्रेट निमंलिखित मैं से कोई भी एक कदम ले सकती हैं :

समन या वारंट जारी कर अपराधिक विचारण (ट्रायल) की प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं, अथवा

इन्क्वारी संचालित कर सकती हैं, स्वयं द्वारा अथवा पुलिस के माध्यम से, अथवा

परिवाद को ख़ारिज कर शिकायत का उत्सादन कर सकती हैं I

मजिस्ट्रेट उपरोक्त मैं से कोई भी कदम ले सकते हैं I परंतु मामला यदि गंभीर प्रकृति का है एवं सेशन न्यायलय द्वारा विचारणीय है, तो उन्हें स्वयं हे “ इन्क्वारी” का सञ्चालन करना अनिवार्य है-वह पुलिस को इस बाबत निर्देश नहीं दे सकती है I इन मामलों मैं अक्सर ७ वर्ष अधिक कारावास का प्रावधान होता है, जैसे की हत्या या दुष्कर्म I

4. आगे क्या होगा?

अगर उन्हें ऐसा प्रतीत हो की मामले मैं अन्य तथ्य उजागर होने की संभावना है, तो मजिस्ट्रेट एक ‘ इन्क्वारी’ का निर्देश पारीत कर स्वयं अथवा पुलिस द्वारा इसे संचालित कर सकती हैI अगर मजिस्ट्रेट ने यह निर्देश पुलिस को दिया है की पुलिस अनुसंधान कर मजिस्ट्रेट के समक्ष एक प्रतिवेदन (रिपोर्ट) पेश करेगी I यह रिपोर्ट ‘ आरोप-पत्र’ नहीं है I यह रिपोर्ट या तो आपके परिवाद का समर्थन करेगी अथवा उसका खंडन करेगी , (‘ कोई अपराध कारित नहीं’ रिपोर्ट इस स्तिथि मैं पेश होगी )

पपूछताछ एवं परिक्षण करने के पश्चात मजिस्ट्रेट परिवादी को सुनवाई का अवसर देंगी I अभी तक कहीं भी आरोपी उपस्थिति नहीं है I इस सुनवाई का उद्देश्य यह निर्धारित करना है की क्या अभियुक्त को न्यायालय मैं उपस्थिति करने के लिए ‘समन’ जरी करना चाहिए I अगर न्यायालय के मन मैं आगे और कारवाही करने का कोई ओचित्य नहीं है; परिवाद को ख़ारिज कर निस्तारित कर दिया जाएगा I

यह लेख न्याय द्वारा लिखा गया है. न्याय भारत का पहला निःशुल्क ऑनलाइन संसाधन राज्य और केन्द्रीय क़ानून के लिए. समझिये सरल भाषा मैं I